मिर्जापुर: नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी मिर्जापुर पहुंचे.बचपन बचाओ आंदोलन के साथी रमाशंकर चौरसिया का देख भावुक हो गए. रमाशंकर चौरसिया को सम्मानित करते हुए कैलाश सत्यार्थी और उनकी पत्नि सुमेधा कैलाश ने पैर छूकर आशीर्वाद लिया.इस दौरान पुराने संघर्ष को याद किया. वह पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि बच्चों को लेकर अब बहुत संगठन कम कर रहे हैं मेरी जिम्मेदारी अब और बढ़ गई है. समस्या के समाधान की जिम्मेवारी जिन लोगों पर है वह समस्या पीड़ितों के साथ ईमानदारी का रिश्ता बनाएं.मगर यह रिश्ता खत्म होता जा रहा है. इसलिए नैतिक जवाब देही नैतिक जिम्मेवारी भी खत्म हो रही है चाहे राजनीति के लोग चाहे सामाजिक संगठन के हो, चाहे ज्यूडिशरी के हो न्याय पालिका हो या पुलिस हो सबके लिए जरूरी है हम दूसरे की समस्या को अपनी समस्या महसूस कर समाधान करें अगर वह नहीं करते तो हम एक भी समस्या का समाधान नहीं कर पाएंगे.
नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी अपने पत्नी के साथ एक दिवसीय दौरे पर मिर्जापुर के अंजही मोहल्ले पहुंचे जहाँ अभिनंदन समारोह कार्यक्रम में शिरकत करते हुए बचपन बचाओ आंदोलन के साथी समाजसेवी रमाशंकर चौरसिया को देखकर भावुक हो गए. रमाशंकर चौरसिया को सम्मानित करते हुए कैलाश सत्यार्थी और उनकी पत्नि सुमेधा कैलाश ने पैर छूकर आशीर्वाद लिया. पत्रकारों से बात करते हुए पहले सत्यार्थी ने कहा बचपन बचाओ आंदोलन मजदूरी के खिलाफ जो संघर्ष किया था उसमें मेरा सबसे बड़ा कार्य क्षेत्र मिर्जापुर के आसपास के इलाके भदोही बनारस प्रयागराज रहा.मिर्जापुर से जो चेतना जगी न केवल पूरे देश में बल्कि पूरी दुनिया में बच्चों के अधिकारों को जगाया राष्ट्रीय कानून बने संविधान में बदलाव किया गया. बच्चों का मुद्दा जो 40 से 50 साल पहले लोगों के नजरों में नहीं था आज दुनिया का कोई भी सरकार दुनिया का कोई भी संगठन इनकार नहीं कर सकता.उसी को लेकर आज एक अच्छा मौका था कि पुराने साथियों से मिले हमारे साथ जो सबसे वरिष्ठ रमा शंकर चौरसिया से मिलने आया हूं और काफी वृद्धि हो चुके हैं आज के 10 साल पहले बच्चों के छापामारी के कार्रवाइयों में शामिल रहा करते थे जैसे व्यक्ति थे परिवार के साथ जो नोबेल पुरस्कार में जाने को मिला था जो मेरे साथ गए थे. मिर्जापुर का एक व्यक्ति वहां खड़ा था जहां भारत का कोई आज तक व्यक्ति खड़ा नहीं हुआ था मैं भी पहले भारतीय था नोबेल शांति पुरस्कार के लिए.इसलिए मिर्जापुर के लोगों का बहुत हमारे ऊपर ऋण है. क्या बाल मजदूरी खत्म हो गया इसको लेकर कहा यह 40 से 45 साल पुराना मुद्दा हो गया है. अब मैं अकेला इस तरह का काम नहीं कर रहा हजारों संगठन दुनिया में काम कर रहे हैं.अब मेरी भूमिका जिम्मेदारी और अधिक हो गई है, शांति पुरस्कार के बाद संयुक्त राष्ट्र के ऐसे समिति में बैठा हूं वहां पर दुनिया के राजा रानी और राष्ट्रटा अध्यक्ष रहते हैं.युद्धों,विकास,पर्यावरण मानव अधिकारों रक्षा से जुड़े जो मसले हैं उन्ही में ज्यादा वक्त गुजर रहा है बहुत सारे साथी बचपन बचाओ आंदोलन और संगठन के साथी बच्चों को लेकर बहुत काम कर रहे है.दुनिया की नीतियां शांति प्रिय कैसे हो दुनिया की नीतियों में समावेशित विकास कैसे शामिल हो उसमें मेहनत की जा रही है इस लिए वक्त भी लग रहा है.भूमिका बदल गया है जमीन से जुड़े रहने के लिए आता हूं. भारत में आधा समय बिता पाता हूं भारत में भी बहुत से मुद्दे हैं शिक्षा नीतियों से संबंधित जुड़े रहना पड़ता है. नया अभियान शुरू किया गया है करुणा के वैश्वीकरण का अभियान दुनिया आज जीतनी अमीर है पहले उतनी अमीर कभी नहीं थी, जितनी तेज रफ्तार में जी रही है उतनी कभी नहीं थी. दुनिया में जितनी जानकारी सूचना डेटा आज है उतना कभी नहीं थी लेकिन इसके बावजूद भी दुनिया में ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान हो पा रहा हो. हम अपने ही डिब्बे में बंद रहकर सोच रहे की समाधान निकाल रहा है. लेकिन पर्यावरण के विनाश की जो हालात है,युद्धों की जो स्थिति है युद्ध किसी से रुक नहीं पा रहा है. हम लोग भी युद्ध रोकने की कोशिश करते हैं उन देशों के राष्ट्रीय अध्यक्षों से बातें करते हैं समझाने की कोशिश करते हैं यह बड़े मुद्दे हैं. देश के समस्या के समाधान की जिम्मेवार जिन लोग पर हैं वह समस्या पीड़ितों के साथ ईमानदारी का रिश्ता बनाएं मगर अब यह रिश्ता खत्म होता जा रहा है. इसलिए नैतिक जवाब देही नैतिक जिम्मेवारी भी खत्म हो रही है.चाहे राजनीति हो चाहे सामाजिक संगठन हो, चाहे ज्यूडिशरी हो, न्याय पालिका हो पुलिस हो सबके लिए जरूरी है हम दूसरे की समस्या को अपनी समस्या की तरह महसूस करें समाधान करें.अगर नहीं करते तो हम एक भी समस्या का समाधान नहीं कर पाएंगे. हम आपको बता दे कैलाश सत्यार्थी मध्य प्रदेश के विदिशा जनपद के रहने वाले हैं. 1983 में पहली बार मिर्जापुर आए थे. यहीं से बचपन बचाओ आंदोलन की शुरुआत की थी कालीन ईट भठ्ठे और ढाबों पर काम रहे बाल मजदूर के खिलाफ काम शुरू किया था. लाख बच्चों को बाल मजदूरी के गुलामी से आज़ाद कराया था.इन बच्चों को पुनर्वास, पुनःएकीकरण, और शिक्षा में मदद की थी.साल 2014 में कैलाश सत्यार्थी को अतुलनीय योगदान के लिए संयुक्त रूप से शांति के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. जब सम्मान लेने गए थे तो उनके परिवार के अलावा रमाशंकर चौरसिया भी मिर्जापुर से शामिल थे.
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