मिर्जापुरः पद्मश्री व प्रसिद्ध कजरी गायिका अजिता श्रीवास्तव का हुआ निधन,निधन की जानकारी मिलने पर केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल पहुंची अजिता श्रीवास्तव के घर,अजिता श्रीवास्तव के पार्थिव शरीर पर फूल चढ़ा कर दी श्रद्धांजलि,अनुप्रिया पटेल ने कहा पद्मश्री अजिता श्रीवास्तव जी के निधन का बहुत दुखद समाचार मुझे मिला,हमारे जिले का नाम उन्होंने पूरे देश में रोशन किया,इतनी बड़ी प्रतिभा आज हमारे बीच नहीं रही,पूरे मिर्जापुर जनपद और अपना दल एस भाजपा की ओर से विन्रम श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं,पूरे कला जगत और मिर्जापुर के लिए एक अपूर्णीय क्षति है,ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे परिवार को दुख की घड़ी में सहन की शक्ति दे.
पद्मश्री व प्रसिद्ध कजरी गायिका अजिता श्रीवास्तव के निधन की सूचना मिलते ही पुरे जनपद में शोक की लहर दौड़ गई.आवास विकास स्थित उनके घर पर परिजनों को सांत्वना देने वालों की तांता लग गया. अजिता श्रीवास्तव के निधन की जानकारी मिलते ही केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल अजिता श्रीवास्तव के घर पहुंचकर पार्थिव शरीर पर फूल चढ़ा कर श्रद्धांजलि दी.अनुप्रिया पटेल ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा पद्मश्री अजिता श्रीवास्तव जी के निधन का बहुत दुखद समाचार मुझे मिला.हमारे जिले का नाम उन्होंने पूरे देश में रोशन किया था.इतनी बड़ी प्रतिभा आज हमारे बीच नहीं रही.पूरे मिर्जापुर जनपद और अपना दल एस भाजपा की ओर से विन्रम श्रद्धांजलि उन्हें अर्पित करती हूं,पूरे कला जगत और मिर्जापुर के लिए एक अपूर्णीय क्षति है.ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे परिवार को दुख की घड़ी में सहन की शक्ति दे.
लोकगीत कजरी गायिका अजिता श्रीवास्तव ने शनिवार के शाम 5:55 बजें अपने आवास पर अंतिम सास ली. कई महीनो से कैंसर की बीमारी से जूझ रही थी.वाराणसी में जन्मी और बीएचयू से एमए, बीएड (संगीत) करने के बाद अजिता का शादी मिर्जापुर जिलें के नरायनपुर ब्लाक के फरहदां गांव के रहने वाले रास बिहारी लाल के साथ हुआ था.इसके बाद अजिता मिर्जापुर आवास विकास में रहने लगी. यही से आर्यकन्या पाठशाला में टीचर की नौकरी मिल गई. संगीत के शौक के नाते अजिता ने 1977 मे टीचर के पेशे के साथ कजली गायन की शुरुआत की कड़ी मेहनत के चलते अजिता श्रीवास्तव पद्मश्री पुरस्कार हासिल की. रिटायर होने के बाद भी घर पर कजरी मिर्जापुर की जीवित रहे जिसको लेकर बच्चों को सिखाती रहती थी.
अजिता श्रीवास्तव अपनी मधुर आवाज और गायन शैली से लोकगीत कजरी को नए मुकाम तक ले गई.आकाशवाणी,दूरदर्शन, पर्यटन विभाग,आईसीसीआर, सूचना विभाग के सहयोग से लोकगीत कजरी को देश विदेश में पहचान दिलवाई.आज वह अपने एक बेटे बहु को छोड़कर दुनिया से अलविदा कर ली.
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