मिर्ज़ापुर विदेशी टीम ने दुनिया के पहले बॉयो-हाइड्रोजन डिमांस्ट्रेशन प्लांट का आज दौरा किया है.जाम्बिया सरकार को प्लांट को लगवाने के लिये प्रस्ताव का मसौदा सौंपेंगे.मिर्जापुर जनपद के चुनार क्षेत्र के सक्तेशगढ़ में स्थापित दुनिया के पहले बॉयो-हाइड्रोजन डिमांस्ट्रेशन प्लांट (बीजल ग्रीन एनर्जी) द्वारा कृषि व वानिकी अवशिस्टों से हरित ईंधन व हाइड्रोजन बनाने की सबसे महत्वपूर्ण ग्लोबल टीएडी टेक्नोलॉजी का रविवार को हैदराबाद, तेलंगाना के भारतीय-अफ्रीकी और ज़ाम्बिया के व्यवसायी करन रेड्डी ने अफ्रीका में हाइड्रोजन और बायो-कोल प्रोडक्शन प्लांट लगाने की संभावनाओं को लेकर बिजल ग्रीन एनर्जी के हाइड्रोजन प्रोडक्शन प्लांट का दौरा किया.
डीज़ल पेट्रोल की लगातार बढ़ती मांग को लेकर हर देश विकल्प तलाश रहा है. हाईड्रोजन को भविष्य में एक बड़ा ईंधन के रूप में देखा जा रहा है. बॉयो-हाइड्रोजन डिमांस्ट्रेशन प्लांट (बीजल ग्रीन एनर्जी) में प्रतिदिन एक टन हाइड्रोजन उत्पादन की क्षमता का प्लांट लगाने वाली बीजल विश्व का पहला प्लांट है.बिजल के फाउंडर नरायनपुर ब्लाक के नियामतपुर कला के रहने वाले बीएचयू के विज्ञान एवं प्रौद्यौगिकी आईआईटी बीएचयू के हाइड्रोजन विज्ञानी एवं सिरेमिक इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रीतम सिंह ने रेड्डी और उनके दल को बिजल की तकनीक के बारे में बारीकी से बताया और बायो-हाइड्रोजन और बायो-कोल का डेमोंस्ट्रेशन भी दिखाया.
ग्रीन हाइड्रोजन की बढ़ी गतिविधियों के बीच विश्व का कई देश अब अपने देश मे ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का प्लांट लगाना चाहते हैं.इसी को लेकर करन रेड्डी बिजल के प्लांट का दौरा किया.दक्षिण अफ्रीका के ज़ाम्बिया में इस प्लांट को लगाने को लेकर उत्सुकता दिखाई.जिसको लेकर जाम्बिया की सरकार को रेड्डी इसके प्रस्ताव का मसौदा सौपेंगे.करन रेड्डी ने बताया कि उन्हें सोसल मीडिया के माध्यम से बिजल की तकनीक के बारे में पता चला जिससे वो काफी प्रभावित होकर अफ्रीका से लौटने के बाद प्लांट के दौरे का प्लान बनाया.बिजल अपने प्लांट में हाइड्रोजन के अलावा, सीएनजी/एलएनजी और बायो-कोल का भी उत्पादन करता है जिसको लेकर देश विदेश के निवेशक प्लांट को लगाने में तेजी के साथ दिलचस्पी ले रहे हैं.जिसको लेकर विश्व की कई कंपनियां अपना दौरा भी कर चुकी हैं.
टीएडडी तकनीकी से किसानों को भी फायदा होने जा रहा है पराली के साथ खेत में जो अवशेष को नष्ट किया जाता था वह करने की जरूरत नहीं होगी.यहां एक किलोग्राम पराली या कृषि अवशिष्ट (घास,पराली,सब्जी फलों के छिलके) से 30 से 40 ग्राम अतिशुद्ध हाइड्रोजन, 130-140 ग्राम सीएनजी व 250-260 ग्राम कोयला तैयार की जाती है.
प्रोफेसर डॉ. प्रीतम सिंह ने यह भी बताया कि बिजल की तकनीकी टीम हाइड्रोजन कंप्रेसर के अवलोकन के सिलसिले में चीन का दौरा करने जा रही है.आगामी 28 दिसम्बर को जापान की कावासाकी की भी टीम प्लांट का दौरा करने आ रही हैं.रेड्डी के साथ उनके तकनीकी सहयोगी एस.वी. मनोज भी दल के साथ आये थे.इस मौके पर बिजल के निदेशक दौलत सिंह, महातिम सिंह,संजो सिंह सहित प्लांट की तकनीकी टीम मौजूद रही.
Tag : #बॉयो-हाइड्रोजनडिमांस्ट्रेशनप्लांट #बीजलग्रीनएनर्जी #डॉ.प्रीतमसिंह #करनरेड्डी #mirzapurnews #newsaddaaclivkCopyright © 2017 NewsaddaaclickAll Right Reserved.