मिर्जापुर : किसानों को अच्छी खेती बढ़ावा देने के लिए मिर्जापुर जनपद में मृदा परीक्षण केंद्र प्रयोगशाला खोला गया है जिसको महिलाएं चूल्हा चौका छोड़ संचालित कर रही हैं. नाम मिट्टी दीदी रखा गया है, महिलाएं जिले के साथ ही अन्य जिलों के आने वाले किसानों के मिट्टी की जांच कर उन्हें मिट्टी के बारे में जानकारी दे रही हैं.मिट्टी के जांच से किसानों को फायदा मिल रहा है.देश की एकमात्र मृदा परीक्षण केंद्र प्रयोगशाला है जिसे महिलाएं चला रही है.हर महिला साइंटिस्ट है जो मिट्टी की जांच कर रही, इन महिलाओं को तेलंगाना आसाम और पंजाब के ट्रेनरों ने ट्रेंड किया हैं.
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद के सीखड़ ब्लॉक के सीखड़ गांव में मिट्टी दीदी केंद्र की प्रयोगशाला में मिट्टी की जांच के लिए हाईटेक इंतजाम हैं. यहां मिट्टी की सभी बीमारियों का पता किया जाता है और उसकी सेहत सुधारने के लिए किसानों को सुझाव दिया जाता है. मिट्टी की सेहत का राज किसानों तक महिलाएं आसानी से पहुंचा रही है. यही कारण है कि मिर्जापुर के साथ रायबरेली बाराबंकी सोनभद्र चित्रकूट जनपद के किसान मिट्टी की जांच आकर करा रहे हैं. इसके साथ ही पेप्सीको और कोका-कोला जो कांट्रैक्ट फार्मिंग करा रही है उन किसानों की भी मिट्टी जांच पेप्सीको और कोका-कोला कंपनी ने आकर कराया है. अब तक 600 से ज्यादा किसान एक महीने के अंदर मिट्टी जांच कर चुके हैं.इस मृदा परीक्षण केंद्र प्रयोगशाला का नाम मिट्टी दीदी रखा गया है. यहां पर सात महिलाएं अलग अलग एफपीओ से जुड़ कर आशा महिला के नेतृत्व में काम कर रही. इन महिलाओं को प्रशिक्षण तेलंगाना के रामाकृष्ण असम के रितेश और पंजाब शिवम दे रहे हैं रामा कृष्ण प्रोजेक्ट मैनेजर तो रितेश प्रोजेक्ट हेड और शिवम बिजनेस मैन के तौर पर इन्हें प्रशिक्षण देकर काबली बनाया है. मिट्टी दीदी केंद्र पर शोध करने के लिए भी छात्राएं पहुंच रही है गुजरात अहमदाबाद से हर्षिता और प्रयागराज यूनिवर्सिटी की कनिष्का एक महीने से इंटर्न कर रही है. दो महीने के लिए इस संस्थान में आकर विभिन्न मिट्टी के बारे में जानकारी ले रही हैं और उस पर शोध कर रही हैं. असंतुलित उर्वरक का प्रयोग करने से मिट्टी खराब हो जाती है और किसानों के उपज भी काम हो जाता है. मिट्टी जांच कराकर किसान खेती करते हैं तो संतुलित उर्वरक डालेंगे मिट्टी की सेहत सही रहेगी और इनकम भी अच्छी होगी.मिर्जापुर जनपद के उपनिदेशक कृषि विकेश पटेल बताते है जनपद में 92 एफपीओ कार्यरत हैं जिसमें सीखड़ नवचेतना एफपीओ मृदा परीक्षण के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहा है, मृदा परीक्षण के लिए लैब की स्थापना किया है, जिसमें महिलाएं काम कर रही है.इन महिलाओं के द्वारा 12 पैरामीटर पर मिट्टी की जांच की जा रही है.यहां पर एफपीओ के सदस्यों की मिट्टी की जांच के साथ अन्य किसानों के मिट्टी जांच की जा रही हैं.नवचेतना का बहुत बड़ा पहल है. नवचेतना एफपीओ के चेयरमैन अपर्णा श्रीवास्तव है जो एब्सोल्यूट कंपनी के टेक्नोलॉजी सपोर्ट लाकर स्थापना कराया है.अपर्णा श्रीवास्तव ने बताया नवचेतना एफपीओ महिला नेतृत्व में चलती है, इसके सभी डायरेक्टर महिलाएं, मिट्टी जांच केंद्र महिलाएं चला रही है हर महिला साइंटिस्ट है, महिलाएं किसान की मिट्टी की जांच करती है इनके जांच से किसानों के उपज में फायदा हो रहा है. मिट्टी दीदी प्रयोगशाला में काम कर रही महिलाएं मिट्टी की जांच के साथ ही मिट्टी कैसे खेत से निकालनी है और प्रयोगशाला तक लाना है और प्रयोगशाला से जांच के बाद कैसे खेती करनी है कितने उर्वरक डालने हैं मिट्टी की सेहत क्या है सभी जानकारी देती हैं. मिट्टी जांच के लिए किसानों से महज 150 रुपए लिया जाता है. मिट्टी दीदी प्रयोगशाला में काम कर रहे हैं महिलाओं को 12 से 15000 रुपये की सैलरी दी जाती है इसके साथ ही पीएफ और हेल्थ इंश्योरेंस भी एफपीओ के माध्यम से रहता है. उत्तर प्रदेश में कृषि विभाग के डेढ़ सौ वर्ष पूरे होने पर जहां कृषि विभाग की ओर से चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत मृदा का नमूना एकत्रित कर जांच किया जा रहा है तो वही इस काम मे एफपीओ भी सरकार के साथ हाथ बटा रही हैं.हम बात कर रहे नवचेतना एफपीओ सीखड़ मिर्जापुर का इस केंद्र पर एकत्रित मृदा परीक्षण के 12 फिजियो केमिकल पैरामीटर पर जांच की जा रही है पीएच मान, ईसी मान, आर्गेनिक कार्बन, नत्रजन, फास्फोरस, पोटास, सल्फर, उपलब्ध बोरान, कॉपर, जिंक, आयरन, और मैगनीज की जांच कर मिट्टी विश्लेषण किया जा रहा है, इसके बाद उपलब्ध फिजियो केमिकल मान के आधार पर किसानों को जानकारी दी जाती हैं. मिट्टी दीदी प्रयोगशाला केंद्र की संचालिका आशा बताती है कि जो भी किसान लेकर आते हैं उन्हें आधे घंटे में रिपोर्ट दे दी जाती है. मिर्जापुर के सीखड़ ब्लाक के सीखड़ गांव के रहने वाले मुकेश पांडेय भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान अहमदाबाद गुजरात से रूरल डेवलपमेंट का कोर्स करने के बाद गुजरात के ही गांवों में वह घूम-घूम कर गांवों में उद्यमिता को बढ़ाने के लिए काम किया और कुछ दिन दिल्ली में रूलर डेवलपमेंट शिक्षक के तौर पर कार्य किया इस दौरान कैंसर से जूझ रहे पिता की मौत हो जाने के बाद लाखों की सैलरी छोड़कर गांव लौट आए, गांव में खेतों में लगातार इस्तेमाल हो रहे कैमिकल के प्रयोग से कैंसर जैसी बीमारी के बढ़ते खतरे को देख नवचेतना के नाम से एफपीओ बनाया पहले गांव में जैविक खेती को बढ़ावा दिया. अब किसानों के मिट्टी की सेहत सुधारने के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. मुकेश कुमार पांडेय बताते हैं एब्सोल्यूट कंपनी के टेक्नोलॉजी सपोर्ट से मिट्टी जांच केंद्र की स्थापना की गई है. मिट्टी जांच केंद्र का स्थापना करने का मुख्य उद्देश्य उत्तर प्रदेश का कृषि विभाग कृषि मंत्रालय 150 वर्ष पूरा कर रहा है.पिछले महीने कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने लैब का उद्घाटन किया था. तब से अब तक 600 से ज्यादा किसानों का मिट्टी जांच कर चुके हैं, रायबरेली बाराबंकी सोनभद्र मिर्जापुर चित्रकूट जैसे जनपद के किसानों की मिट्टी की जांच की गई है. किचन से निकाल कर प्रयोगशाला तक महिलाओं को लाया गया है और प्रदेश के विभिन्न कृषि के कार्यों में होने वाले में कार्यक्रमों में इन्हें ले जाया जा रहा है.नवचेतना एफपीओ आने वाले दिनों में मिट्टी जांच केंद्र प्रयोगशाला को 100 मशीन लगाकर भारत स्तर पर ग्रामीण अंचल में अपने बल पर मिट्टी जांच केंद्र महिलाओं द्वारा संचालित करने का पहली संस्थान बनने जा रही है.
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